मृत कर्मचारी के नाम पर तीन साल तक निकाला वेतन, हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की
मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग में तीन कर्मचारियों द्वारा एक मृतक कर्मचारी के नाम से तीन साल तक वेतन निकालने का मामला सामने आया है। इस घोटाले का खुलासा होने के बाद आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। मामले के आरोपी विजय कुमार श्रीवास्तव, रामनारायण पटेल और आनंद कुमार जैन ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। हालांकि, वर्तमान खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) शोभा अय्यर को राहत मिली और उन्हें जमानत दे दी गई है।
शोभा अय्यर को मिली राहत, बाकी तीन की जमानत याचिका खारिज
मामले की सुनवाई जस्टिस ए. के. पालीवाल की बेंच में हुई। न्यायालय ने बीईओ शोभा अय्यर की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए यह पाया कि उन्होंने मार्च 2023 में पदभार संभालने के बाद इस अनियमितता को पहचानते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को सूचित किया था। वहीं, विजय कुमार श्रीवास्तव, रामनारायण पटेल और आनंद कुमार जैन की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ ठोस सबूत हैं और वे इस घोटाले में सीधे रूप से शामिल थे।
मृत कर्मचारी के नाम से निकलता रहा वेतन
घोटाला तब उजागर हुआ जब पता चला कि शिक्षा विभाग के कर्मचारी जान सिंह धमकेत, जिनका निधन 13 अप्रैल 2020 को हो गया था, उनके नाम से तीन साल तक वेतन निकाला जाता रहा। यह वेतन कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश कुमार बर्मन के खाते में जमा किया जा रहा था। इस धोखाधड़ी की योजना रामनारायण पटेल और आनंद कुमार जैन के कार्यकाल के दौरान बनाई गई, जबकि विजय कुमार श्रीवास्तव क्लर्क के रूप में इस योजना में शामिल थे।
शोभा अय्यर ने उजागर किया घोटाला
शोभा अय्यर ने मार्च 2023 में निवास ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी के रूप में पदभार संभाला। इस दौरान उन्होंने इस घोटाले को पहचाना और तुरंत जिला शिक्षा अधिकारी को इसकी सूचना दी। उनके वकील अमृत रूपराह ने हाईकोर्ट में दलील दी कि शोभा अय्यर का इस घोटाले से कोई संबंध नहीं है, और उन्होंने इसे उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोर्ट ने यह मानते हुए उन्हें अग्रिम जमानत दे दी कि उनकी भूमिका सीमित थी।
आरोपियों पर लगाए गए गंभीर आरोप
विजय कुमार श्रीवास्तव, रामनारायण पटेल और आनंद कुमार जैन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग), 120बी (आपराधिक साजिश) और 34 (साझा इरादे से अपराध) के तहत आरोप लगाए गए हैं। इसके साथ ही, आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत भी इन पर आरोप दर्ज किए गए हैं।
अदालत का निर्णय
न्यायमूर्ति पालीवाल ने अन्य आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और उनकी भूमिका सीधे घोटाले से जुड़ी है। शोभा अय्यर को इस आधार पर राहत दी गई कि उन्होंने अनियमितताओं की जानकारी होते ही अधिकारियों को सूचित किया और उनके खिलाफ कोई ठोस आरोप नहीं है।