हाईकोर्ट का अहम फैसला: मां के साथ रहने पर बेटियों की हिरासत अवैध नहीं
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने वैवाहिक विवाद से जुड़े एक मामले में अहम टिप्पणी की है। हाई कोर्ट की प्रशासनिक न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने कहा कि यदि बेटियां अपनी मां के साथ हैं, तो इसे अवैध हिरासत नहीं माना जा सकता। इसी के साथ पिता की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया गया।
क्या है मामला?
भोपाल के नवीन नगर निवासी लोकेश पटेल ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी नेहा पटेल और दो नाबालिग बेटियों को ससुराल पक्ष के लोग बंधक बनाकर रखे हुए हैं। उन्होंने रूपेश चौरसिया सहित अन्य पर आरोप लगाते हुए पत्नी और बेटियों को मुक्त कराने की मांग की थी।
कोर्ट में क्या हुआ?
हाई कोर्ट ने भोपाल पुलिस को दोनों बेटियों को न्यायालय में पेश करने के निर्देश दिए। पुलिस ने बेटियों को उनकी मां के साथ अदालत में प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान पत्नी नेहा पटेल ने कोर्ट को बताया कि वह कुछ व्यक्तिगत कारणों से पति के साथ नहीं रह सकतीं। उन्होंने खुद ही दोनों बेटियों के साथ पति का घर छोड़ दिया और वापस नहीं जाना चाहतीं।
हाईकोर्ट का निर्णय
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह अवैध हिरासत का मामला नहीं, बल्कि एक वैवाहिक विवाद है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता (पति) को वैवाहिक मुद्दों के समाधान के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाने की स्वतंत्रता है। इसके साथ ही याचिका को निरस्त कर दिया गया।