नौरादेही टाइगर रिजर्व से बड़ी खुशखबरी: बाघिन N-112 ने दूसरी बार चार शावकों को दिया जन्म, ‘मदर ऑफ नौरादेही’ राधा बनी नानी
सागर। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व से वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक बार फिर बड़ी खुशखबरी सामने आई है। यहां की बाघिन N-112 ने लगातार दूसरी बार चार शावकों को जन्म दिया है। टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार शावक करीब 15 से 20 दिन के प्रतीत हो रहे हैं और सभी स्वस्थ हैं।
इस खबर से न केवल वन विभाग में उत्साह है, बल्कि यह रिजर्व की बाघ संरक्षण रणनीति की सफलता को भी दर्शाता है। बाघिन और शावकों की सुरक्षा को देखते हुए संबंधित क्षेत्र में गश्ती और निगरानी बढ़ा दी गई है।
'मदर ऑफ नौरादेही' राधा बनी नानी
इस जन्म का एक खास पहलू यह है कि बाघिन N-112, नौरादेही की पहली बाघिन N-1 राधा की संतान है। राधा को 2018 में नर बाघ N-2 किशन के साथ यहां लाया गया था। 2019 में राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से एक थी N-112। अब N-112 खुद मां बनकर दूसरी बार चार शावकों के साथ नजर आई है, जिससे राधा अब नानी बन गई हैं।
फोटो में पहली बार दिखे शावक
रिजर्व की सर्च टीम ने ट्रैकिंग के दौरान बाघिन N-112 को उसके चार नवजात शावकों के साथ देखा और तस्वीरें भी लीं। फिलहाल, टीम लगातार क्षेत्र में निगरानी बनाए हुए है और बाघिन के मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है।
डिप्टी डायरेक्टर का बयान
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए. ए. अंसारी ने बताया कि, “कुछ दिनों पहले हमारे गश्ती दल को कुछ शावक दिखाई दिए थे। प्रारंभ में संदेह था, लेकिन पुष्टि के लिए एक सर्च टीम गठित की गई, जो हाथियों के साथ रवाना हुई। तलाशी अभियान में टीम ने बाघिन N-112 को चार शावकों के साथ देखा। ये शावक करीब 15-20 दिन के हैं। इससे पहले N-112 ने चार शावकों को जन्म दिया था, जो लगभग 22 महीने तक उसकी देखरेख में रहे।”
बाघों की संख्या हुई 23
हालांकि छोटे शावकों को अधिकारिक गणना में शामिल नहीं किया जाता, लेकिन इन चार नए शावकों को जोड़ें तो नौरादेही टाइगर रिजर्व में बाघों की कुल संख्या अब 23 पहुंच गई है। यह टाइगर रिजर्व में बाघ संरक्षण और प्राकृतिक प्रजनन के लिहाज से बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
संरक्षण के सफल कदमों का असर
नौरादेही में बाघों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि यह संकेत देती है कि वन विभाग के संरक्षण प्रयास और अनुकूल वन्य वातावरण अब रंग ला रहे हैं। बाघों के स्वाभाविक प्रजनन से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र मध्यप्रदेश के प्रमुख टाइगर हब के रूप में और सशक्त होगा।