रिश्वत लेने वाले आरोपी को 04 वर्ष का सश्रम कारावास और जुर्माना
सागर: जमीन की बही के अलग-अलग खाते बनवाने के एवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी कमलेश्वर दत्त मिश्रा को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर (म.प्र) आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
सजा का विवरण:
- धारा 7 के तहत: 03 वर्ष का सश्रम कारावास और 6,000 रुपये जुर्माना
- धारा 13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के तहत: 04 वर्ष का सश्रम कारावास और 6,000 रुपये जुर्माना
मामले की पैरवी:
इस मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण
15 फरवरी 2018 को दुर्गा प्रसाद कुर्मी, निवासी ग्राम भरदी, तहसील केसली ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को एक लिखित शिकायत दी। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि अभियुक्त मिश्रा बाबू ने जमीन के बही खाते को अलग-अलग करवाने के लिए 6,000 रुपये रिश्वत मांगी थी। दुर्गा प्रसाद रिश्वत नहीं देना चाहते थे, बल्कि मिश्रा बाबू को रंगे हाथों पकड़वाना चाहते थे।
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर ने इस मामले की जांच के लिए उप-पुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े को नियुक्त किया। दुर्गा प्रसाद को एक डिजिटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया ताकि वे रिश्वत मांगने की वार्ता रिकॉर्ड कर सकें। नियत दिनांक को दुर्गा प्रसाद ने अभियुक्त को 6,000 रुपये दिए और इशारा मिलने पर टेप दल ने मिश्रा बाबू को पकड़ा।
जांच और अदालती कार्यवाही:
जांच के दौरान साक्ष्यों को एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 और धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के तहत अपराध दर्ज किया गया। इसके बाद न्यायालय में चालान पेश किया गया। विचारण के दौरान अभियोजन ने साक्ष्यों और दस्तावेजों को प्रमाणित किया और मामला संदेह से परे साबित किया।
न्यायालय का निर्णय
विशेष न्यायाधीश आलोक मिश्रा ने अभियुक्त को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा सुनाई।
इस फैसले से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश गया है कि कानून के दायरे में हर व्यक्ति को न्याय मिलेगा और भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।