नकली नोट बनाते पकड़े गए दोनों बदमाश, 8वीं फेल लेकिन तकनीक में माहिर
ग्वालियर में नकली नोट बनाने के आरोप में पकड़े गए दो बदमाश, अंसार अली और अशोक माहौर, केवल 8वीं पास हैं, लेकिन तकनीकी ज्ञान में माहिर हैं। इनकी नकली करेंसी बनाने की सफाई देखकर क्राइम ब्रांच भी हैरत में पड़ गई। शुरुआती पूछताछ में दोनों ने ग्वालियर के एक गुरु का नाम बताया है, जिसने उन्हें नकली नोट बनाने की ट्रेनिंग दी थी। हालांकि, उनके गुरु के तरीकों में कुछ कमियां थीं, जिन्हें उन्होंने इंटरनेट की मदद से दूर किया।
नकली नोट बनाने की कला सीखी और अमल में लाई
दोनों बदमाशों ने इंटरनेट के जरिए नकली नोटों के पहचान चिन्हों और तकनीकों को समझा और फिर इन्हें ठीक किया। दो महीने पहले, इन्होंने ग्वालियर के जागृति नगर में किराए पर एक कमरा लेकर नकली नोट छापने का काम शुरू किया। उनका मकसद ग्वालियर-चंबल अंचल से शुरुआत कर पूरे प्रदेश में नकली नोटों का रैकेट फैलाना था। इन दो महीनों में ही इन्होंने 4 लाख से ज्यादा नकली रुपए बाजार में चला दिए।
छोटे शहरों से शुरुआत कर बड़ा खेल खेलने की योजना
अंसार अली और अशोक माहौर, जो भिंड के रहने वाले हैं, ने ग्वालियर-चंबल अंचल के छोटे शहरों से शुरुआत की। उन्होंने 50, 100 और 200 रुपए के नकली नोट बाजार में उतारे, क्योंकि इन पर लोगों का ध्यान कम जाता है। बड़े शहरों में वे 500 रुपए के नोट चलाते थे।
क्राइम ब्रांच की कार्रवाई
क्राइम ब्रांच के एएसपी शियाज केएम ने मुखबिर की सूचना पर जनकगंज के जागृति नगर में रेकी की और रविवार देर रात दोनों बदमाशों को किराए के कमरे से गिरफ्तार किया। अंसार अली पर पहले से ही चार धोखाधड़ी और एक वाहन चोरी का मामला दर्ज है। दोनों ने अब तक 2 लाख रुपए अशोकनगर और 1.86 लाख रुपए गुना में चलाने की योजना बनाई थी। पुलिस ने इनके कमरे से डाई, कलर, स्कैनर, प्रिंटर और बटर पेपर भी जब्त किया है।
पूरी गैंग के शामिल होने की आशंका
पुलिस का मानना है कि इस रैकेट में केवल ये दो बदमाश ही नहीं, बल्कि एक पूरी टीम शामिल है। इनके नकली नोट अशोकनगर और अन्य जगहों पर भी खपाए गए थे। पुलिस को संदेह है कि गैंग में चार से पांच सदस्य हो सकते हैं। फिलहाल, पुलिस इनके गुरु की तलाश कर रही है, जो शहर का चर्चित बदमाश है और फिलहाल फरार है।
क्राइम ब्रांच की पूछताछ जारी है और पुलिस ने नकली नोटों के इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश करने का संकल्प लिया है।