टीकमगढ़: महिला किसान ने रिश्वत के बदले दी अपनी गाय, एसडीएम ऑफिस के सामने किया विरोध प्रदर्शन
टीकमगढ़। टीकमगढ़ जिले के बल्देवगढ़ तहसील में शुक्रवार को एक अजीबोगरीब घटना सामने आई जब एक महिला किसान अपनी दुधारू गाय को रिश्वत के बदले देने के लिए एसडीएम ऑफिस पहुंची। महिला का आरोप था कि उसकी जमीन पर अवैध कब्जे को रोकने के लिए उससे 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी जा रही थी। महिला ने गाय को एसडीएम कार्यालय के सामने बांधते हुए कहा, "मेरी यही पूंजी है, इसे बेचकर आप अपनी रिश्वत ले लें, लेकिन मेरी जमीन बचा लें।"
गाय लेकर पहुंची तो मचा हड़कंप
यह घटना बल्देवगढ़ अनुभाग के केलपुरा गांव की रहने वाली राम कुँअर लोधी और उनके परिवार से जुड़ी है। महिला का कहना है कि उसकी पारिवारिक जमीन, जिसका खसरा नंबर 1021/6/1 है, पर जबरन कब्जा किया जा रहा है। दबंग प्रमोद तिवारी द्वारा इस जमीन पर प्लॉट बनाकर मकान बनाया जा रहा है, जबकि यह जमीन राम कुँअर लोधी के परिवार की है। महिला ने बताया कि जब वह पुलिस के पास गई, तो पुलिस ने उसे स्थगन आदेश लाने के लिए कहा।
महिला का आरोप है कि जब वह बल्देवगढ़ एसडीएम कोर्ट पहुंची, तो वहां के बाबू ने उससे स्थगन आदेश के बदले 50 हजार रुपये की मांग की। परेशान होकर महिला ने अपनी दुधारू गाय एसडीएम कार्यालय के सामने बांध दी और जोर-जोर से चिल्लाने लगी, "मेरे पास सिर्फ यह गाय है, इसे ले लो और बेचकर रिश्वत ले लो।"
एक घंटे का हाईवोल्टेज ड्रामा, सैकड़ों लोग इकट्ठे हुए
महिला के इस प्रदर्शन से मौके पर हड़कंप मच गया और देखते ही देखते सैकड़ों लोग इस घटना को देखने के लिए इकट्ठे हो गए। महिला ने आरोप लगाया कि एसडीएम कार्यालय में बिना पैसे के कोई काम नहीं होता, यहां तक कि दीवारें भी पैसे मांगती हैं। उसने कहा कि उसकी जमीन पर स्थगन आदेश देने के लिए उससे पैसे की मांग की गई थी।
एसडीएम ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
बल्देवगढ़ अनुभाग की एसडीएम भारती मिश्रा ने महिला के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में पहले ही 9 महीने पहले स्थगन आदेश दिया जा चुका है, जिसमें दोनों पक्षों को विवादित जमीन पर कोई भी निर्माण कार्य न करने का आदेश दिया गया था। एसडीएम ने कहा, "यह मामला अब पुलिस का है, उन्हें ही इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। महिला को गुमराह किया जा रहा है।"
यह घटना टीकमगढ़ जिले में सरकारी कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। भले ही एसडीएम ने आरोपों को खारिज किया हो, लेकिन महिला किसान की यह हिम्मत और अनूठा विरोध निश्चित रूप से एक चर्चा का विषय बन गया है। सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ रही है।