सरकार जमीन अधिग्रहण कर मुआवजा देने में विफल: हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, कलेक्टर्स से वसूली का आदेश
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने राज्य सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि "सरकार गुंडों की तरह काम नहीं कर सकती कि किसी को उसकी जमीन से बेदखल कर दे और फिर मुआवजा के लिए उसे चक्कर कटवाए।" यह टिप्पणी कोर्ट ने शशि पांडे की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिनकी जमीन 1988 में सरकार ने अधिग्रहित कर ली थी, लेकिन आज तक उन्हें मुआवजा नहीं मिला।
जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया की बेंच ने सरकार को आदेश दिया है कि वह दो महीने के भीतर शशि पांडे को 10,000 रुपए प्रति माह की दर से मुआवजा राशि का भुगतान करे। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि मुआवजा राशि उस समय पदस्थ रहे कलेक्टर्स से वसूली जाए, जिनकी अनदेखी के कारण यह मामला वर्षों से लंबित है।
कोर्ट का कड़ा रुख
जस्टिस अहलूवालिया ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि आदेश का पालन सुनिश्चित कर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने इस मामले में सरकारी तंत्र के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि शासकीय आदेशों की अनदेखी करना अस्वीकार्य है।
मामले का विवरण
शशि पांडे की जबलपुर के आधारताल इलाके में हाईवे से लगी लगभग 30 हजार स्क्वायर फीट जमीन है, जिसे सरकार ने 1988 में अधिग्रहित किया था। इतने वर्षों में महिला को मुआवजा नहीं मिला। जब स्थानीय तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर से भी कोई मदद नहीं मिली, तो शशि पांडे ने 2023 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मुआवजा देने और उस समय के जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली का आदेश दिया।