बुंदेलखंड का प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र: अबार माता का दरबार, माता अबार को डकैतों की माता कहा जाता हैं
सागर। बुंदेलखंड का एक प्रमुख तीर्थस्थल है अबार माता का दरबार, जहां हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है। इस क्षेत्र को विशेष रूप से बुंदेलखंड के नामी डकैतों और वीर योद्धाओं आल्हा-ऊदल की आस्था से जोड़ा जाता है। यहां पर देवी के आशीर्वाद से कई ऐतिहासिक और साहसिक व्यक्तियों की इच्छाएं पूरी हुई हैं।
12वीं सदी का ऐतिहासिक मंदिर
यह मंदिर 12वीं सदी में स्थापित हुआ, जब आल्हा और ऊदल जैसे वीरों ने पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ बुंदेलखंड की रक्षा की थी। मान्यता है कि जब आल्हा-ऊदल महोबा से माधौगढ़ जा रहे थे, तो उन्होंने बियाबान जंगल में देरी होने पर यहां डेरा डाला और अपनी आराध्य देवी का आह्वान किया। देवी ने उन्हें दर्शन देकर यहां मंदिर बनवाने की प्रेरणा दी। इसके बाद उन्होंने एक चट्टान पर मंदिर बनवाया और माता की प्रतिमा स्थापित की। यही स्थान आज अबार माता के नाम से विख्यात है।
डकैतों की माता का मंदिर
अबार माता को "डकैतों की माता" के रूप में भी जाना जाता है। बुंदेलखंड के दस्यु युग में कुख्यात डकैत, जैसे पूजा बब्बा, मूरत सिंह और देवी सिंह, इस मंदिर में नियमित रूप से हाजिरी लगाते थे। यह मंदिर तीन जिलों की सीमाओं से घिरे घने जंगलों में स्थित है, जिससे यह डकैतों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गया था। इस क्षेत्र से गुजरना आसान था क्योंकि उत्तर प्रदेश की सीमा भी पास में है, जिससे यह स्थान डकैतों के छिपने और भागने का मुख्य केंद्र बन गया था।
बढ़ती चट्टान का रहस्य
अबार माता मंदिर की खासियत इसके परिसर में स्थित एक अद्वितीय चट्टान है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह हर महाशिवरात्रि पर तिल के आकार जितनी बढ़ जाती है। यह चट्टान अब 70 फीट की हो चुकी है और यहां तक कि बड़ी मशीनों से भी इसे हिलाना संभव नहीं है। माता की मढ़िया स्थापित होने के बाद इसका बढ़ना रुक गया।
नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु आते हैं दर्शन करने
नवरात्रि के अवसर पर अबार माता के मंदिर में भारी भीड़ उमड़ती है। रोज़ाना 2 हजार से अधिक लोग यहां दर्शन करने आते हैं, जबकि नवरात्रि के दिनों में यह संख्या 50 हजार से 1 लाख तक पहुंच जाती है। पंचमी और अष्टमी के दिन माता का विशेष श्रंगार किया जाता है, और वैसाख माह की नवरात्रि पर दस दिन तक विशेष मेला आयोजित किया जाता है। शारदीय नवरात्रि के दौरान भी यहां मेले जैसा माहौल रहता है।
कैसे पहुंचे अबार माता मंदिर
सागर और छतरपुर जिलों से अबार माता मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। छतरपुर जिला मुख्यालय से 105 किलोमीटर और बड़ामलहरा से 40 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर तक बस और निजी वाहनों से पहुंचने की सुविधा उपलब्ध है।