MP के इस गांव में प्रथम पूज्य है। रावण,लोग रावण का नाम हाथों पर गुदवाते है ओर पूजते है।
विदिशा। रावण का नाम सुनते ही हमारे मन में दानव और महान शिवभक्त की मिली-जुली छवि उभरती है। वह एक विद्वान और महान शिव भक्त थे, लेकिन रावण को हमेशा बुराई का प्रतीक माना गया है। इस आम धारणा के विपरीत, मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के एक छोटे से गांव में रावण को प्रथम पूज्य के रूप में पूजा जाता है। यह गांव है रावन, जो राजधानी भोपाल से करीब 90 किलोमीटर दूर शमशाबाद विधानसभा में स्थित नटेरन जनपद पंचायत के अंतर्गत आता है।
इस गांव के निवासी रावण को अपने आराध्य मानते हैं। यहां की परंपरा के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले रावण बाबा की पूजा की जाती है। चाहे वह शादी हो या कोई नया कार्य, सबसे पहले रावण बाबा को श्रद्धा अर्पित की जाती है। यह परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है, जो देश के अन्य हिस्सों से बिल्कुल अलग है, जहां रावण को बुराई का प्रतीक मानकर दशहरे पर उनका पुतला दहन किया जाता है।
रावण को प्रथम पूज्य क्यों माना जाता है?
यह परंपरा रावन गांव में अनोखी और गहरी आस्था से जुड़ी है। माना जाता है कि गांव में रावण की पूजा से हर काम सफल होता है और जीवन में खुशहाली आती है। गांव के लोग मानते हैं कि रावण केवल एक दानव नहीं थे, बल्कि एक महान ज्ञानी और शिव भक्त थे। इसी कारण रावण यहां सम्मानित हैं और उन्हें शुभ कार्यों की शुरुआत में सबसे पहले पूजा जाता है।
पूरे देश में जहां विजयादशमी पर रावण का पुतला जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है, वहीं विदिशा के इस छोटे से गांव में रोजाना रावण बाबा की पूजा की जाती है। यहां के लोग मानते हैं कि रावण का नाम लेना शुभ होता है और यही उनकी समृद्धि और सफलता का राज है।
इस गांव की परंपरा भारत की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है। यह हमें याद दिलाती है कि हर इंसान में राम और रावण दोनों का अंश होता है, और उनकी पहचान उनके कर्मों से होती है।