संविधान पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में सीतारमण और खड़गे में तीखी नोकझोंक
राज्यसभा में सोमवार को संविधान पर हुई चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तीखी बहस देखने को मिली। वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर परिवारवाद और वंशवाद को बढ़ावा देने के लिए संविधान में संशोधन करने का आरोप लगाया, जबकि खड़गे ने संघ (RSS) और भाजपा पर संविधान विरोधी सोच रखने का आरोप लगाया।
वित्त मंत्री का कांग्रेस पर हमला
निर्मला सीतारमण ने चर्चा के दौरान कहा, "कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में बने रहने और वंशवाद को बढ़ावा देने के लिए संविधान में बेशर्मी से संशोधन किए। ये बदलाव सत्ता में बैठे लोगों की सुरक्षा के लिए किए गए थे, न कि जनता के हित के लिए।"
खड़गे का पलटवार
वित्त मंत्री के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए खड़गे ने कहा, "जो लोग तिरंगे, अशोक चक्र और संविधान से नफरत करते थे, वे आज हमें शिक्षा दे रहे हैं। जब संविधान बना, तो इन्होंने इसे जलाया था। 26 नवंबर 1949 को जब संविधान अपनाया गया था, तब इन लोगों ने रामलीला मैदान में बाबासाहेब अंबेडकर, महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के पुतले जलाए थे।"
खड़गे ने आगे कहा, "RSS के नेता संविधान का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं है।"
शिक्षा और कर्म पर बयान
खड़गे ने निर्मला सीतारमण की शैक्षिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा, "वित्त मंत्री जेएनयू से ग्रेजुएट हैं। मैंने म्यूनिसिपल स्कूल से पढ़ाई की है, लेकिन संविधान हमने भी थोड़ा-बहुत पढ़ा है। निर्मला जी की अंग्रेजी और हिंदी अच्छी होगी, लेकिन उनके कर्म अच्छे नहीं हैं।"
इतिहास का जिक्र
खड़गे ने 1949 की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी जैसे लेखकों और कलाकारों को नेहरू के खिलाफ कविताएं सुनाने पर जेल भेजा गया था।
संसद में तीखी बहस का दौर
संविधान पर चर्चा के दौरान इस तरह की तीखी बहस ने दोनों पक्षों के विचारों को उजागर किया। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला यह दिखाता है कि संविधान और उसके इतिहास पर चर्चा अब भी राजनीतिक बहस का केंद्र बिंदु बना हुआ है।