प्रयागराज महाकुंभ हादसा: आयोग का कार्यकाल बढ़ा, जांच में जनहानि और संपत्ति नुकसान भी शामिल
प्रयागराज, 25 फरवरी। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ की जांच का दायरा बढ़ा दिया है। सरकार ने 22 फरवरी को जारी अधिसूचना में आयोग का कार्यकाल एक माह बढ़ा दिया है। अब आयोग केवल घटना के कारणों की जांच नहीं करेगा, बल्कि इसमें जनहानि और संपत्ति की हानि की भी गहराई से जांच की जाएगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई, जांच का दायरा बढ़ाने की जानकारी
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सोमवार को इस मामले पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका अधिवक्ता सुरेश चंद्र पांडेय ने दायर की थी, जिसमें यह दावा किया गया था कि सरकार द्वारा गठित आयोग का जांच दायरा सीमित है और इसमें जनहानि एवं संपत्ति की हानि की जांच शामिल नहीं की गई है।
राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि अब आयोग इन मुद्दों की भी जांच करेगा। इसके साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि मेला प्रशासन और जिला प्रशासन के बीच आपसी समन्वय कैसे स्थापित किया गया, विशेषकर स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन में।
जनहित याचिका निस्तारित, उठाए गए सवालों का समाधान
अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान कर दिया गया है। इसके आधार पर जनहित याचिका निस्तारित कर दी गई।
तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग कर रहा जांच
राज्य सरकार ने 29 जनवरी को ही भगदड़ की घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन कर दिया था। इस आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हर्ष कुमार कर रहे हैं। आयोग में पूर्व आईपीएस अधिकारी वीके गुप्ता और पूर्व आईएएस अधिकारी डीके सिंह भी शामिल हैं।
पहले, आयोग को एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था, लेकिन अब इसका कार्यकाल एक माह बढ़ा दिया गया है ताकि विस्तृत जांच की जा सके।
30 लोगों की मौत, 60 से अधिक घायल
गौरतलब है कि 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर महाकुंभ में भारी भीड़ के दौरान भगदड़ मच गई थी। इस दर्दनाक हादसे में 30 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 60 से अधिक लोग घायल हुए थे।
सरकार ने दिए व्यापक जांच के निर्देश
राज्य सरकार ने आयोग को निर्देश दिए हैं कि वह घटना के सभी पहलुओं की गहराई से जांच करे। आयोग को यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और कुंभ जैसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा और व्यवस्था चाक-चौबंद रहे।