मालथौन क्षेत्र में तुषार पाला से फसलों में नुकसान, नही हुए सर्वे के आदेश
मालथौन। कुदरत के प्रकोप से एक फिर अन्नदाता कोप का भाजक बन गया, बे-मौसम बारिश और तुषार पाला ने अरमानों की फसल पर पानी फेर दिया हैं। खेतो में मुरझाई फसलों व निकल रही उपज ने किसानों को आंसू रुला दिये। कर्ज के भंवर में फंसा किसान की उलझन बढ़ गई हैं बैंकों के अधिकारी कर्मचारी और साहूकार उसकी देहरी और खलियानों पर बसूली के लिए तकाजा करने लगे हैं। किसान फसलों का बीमा तो हर बर्ष करवाता है लेकिन शासन प्रशासन मातहतों की कृपा के बिना न तो फसलों के नुकसान सर्वे होता उसके नुकसान का बीमा कम्पनी नुकसान की भरपाई करती है किसान बीमा इसलिये करवाता है उसके संकट घड़ी में काम आएगा। लेकिन इसकी परिपाठी अलग हैं बडी बिडम्बना अलग अलग इकाई में मापा गया है। बीमा कम्पनी सिर्फ प्रीमियम बसूलने का काम बखूबी निभाती है लेकिन किसान को विपदा में बीमा क्लेम देने में आंखे बंद कर लेती हैं। प्रकृति की मार से फसलों को बचाने के सरकार का विभागीय मैदानी अमला पूरा तरह नदारद सा है। ग्रामीण क्षेत्र में कृषि विभाग का मैदानी अमला किसानों को मार्गदर्शन या फसलों की सुरक्षा एवं बिपुल उत्पादन संबंधी उपाय या सर्तकता संबंधी साहित्य या मौखिक जानकारी दी हो ऐसा कही नहीं हुआ।
जिले में कुछ दिनों पहले पड़ी कड़ाके की ठंड के कारण फसलों में तुषार पाला पड़ गया है मौसम साफ होने के बाद अब इसका असर फसलों पर साफ दिखाई दे रहा है। फसलों की फलियां सूखने लगी हैं। जिससे किसानों की चिंता बढऩे लगी है। शीतलहर और पारा नीचे जाने के कारण सुबह फसलों पर ओस जम रही थी। ओस जमने के कारण फसलों पर अब असर दिखाई देने लगा है जिसमें चना, मसूर, बटरी, गेहूं, तेबड़ा एवं सब्जियों की फसल पर इसका असर पड़ने से फसलों में भारी नुकसान हैं। फसल की फलियां पीली पड़ गई हैं, बताया गया हैं की तुषार से फसलों को बचाने के लिए किसानों ने सिंचाई भी की थी, इसके बाद भी फसलें तुषार से नहीं बच पाई है। तुषार के बाद फसल इस स्थिति में पहुंच गई है जैसे आग लगने से फसल झुलस गई हो। फसलों की बर्बादी देख किसान की चिंता भी बढ़ रही है। मानो तुषार ग्रषित फसलों का हाल देखकर किसानों की अब मुंह से चीख निकलने लगी हैं। एक तो किसान कर्ज के भवर में डूबा हुआ हैं। दूसरी और तुषार ने किसानों मेहनत की फसलों को चट लिया।
जिले के मालथौन तहसील मालथौन, रजवांस, बोबई बिसराहा, सगौनी, रतनपुर, मडावन मार, हड़ली, गाडौली, बम्होरी हुड्डा, रेडोंन के अन्नदाताओं ने फसलों की व्यथा सुनाई की उन्होंने बताया की चना मसूर और वटरी, मटर, तेवड़ा में 50 से 60 फीसदी तुषार पाला से फसलों में नुकसान हो गया हैं। बाद में बोई गई फसलों में भी ज्यादा नुकसान हैं। वही खरीफ की फसल पहले ही सूखा अतिवृष्टि की भेंट चढ़ चुकी है सोयाबीन उड़द की फसल में किसान बीज भी नहीं निकाल पाए थे। एक बार फिर उम्मीद की फसल पर तुषार का बज्रपात हो गया है। वही क्षेत्र के किसानों ने शासन से फसल सर्वे की मांग की हैं।
किसान विनोद सिंह दांगी बिसराहा ने बताया कि बीते दिनों तापमान कम होने के कारण मसूर, बटरा एवं चना की फसल में तुषार लग गया है, पौधे सूखने लगे है। जिससे फसलों को नुकसान हुआ है। उन्होंने मांग की है कि सरकार किसानों को हुए नुकसान का सर्वे कराये और उन्हें राहत राशि वितरण करें। कृषक राजेंद्र सिंह लोधी, हल्के सिंह ग्राम बोबई, श्याम सुंदर सेन सागोनी का कहना हैं की पिछले महीने अधिक ठंड पड़ने के कारण मसूर, चना, मटर, गेहूं की फसल में भारी मात्रा में नुकसान हुआ है, फसल पाले के कारण नष्ट हो चुकी है इस बार तो इतना अधिक पाला पड़ा है कि गेहूं की फसल तक में पाले का असर देखने को मिल रहा है, पाला पढ़ने से 50 से 60 परसेंट नुकसान है, वही इसकी सूचना पटवारी हल्का को दी है हल्का पटवारी द्वारा बताया गया कि ऊपर से सर्वे के कोई आदेश नहीं आये हैं।