विश्व की इस अदालत में रात में नही दिन ने लगती है। भूतो की अदालत
अजमेर शरीफ दरगाह, जिसे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भी कहा जाता है, भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर शहर में स्थित है। यह दरगाह न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक पवित्र स्थल है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है, 12वीं सदी के एक महान सूफी संत थे। उन्होंने अपना जीवन गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा में समर्पित कर दिया था। उनके अद्भुत चमत्कारों और उपदेशों की वजह से आज भी लाखों लोग उनकी दरगाह पर मुरादें मांगने आते हैं।
निर्माण और वास्तुकला
दरगाह का निर्माण मुगलों द्वारा किया गया था और यह मुगल शैली की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका प्रारंभिक निर्माण इल्तूतमिश ने किया था और हुमायूं के शासनकाल में इसे पूरा किया गया। दरगाह का मुख्य द्वार, जिसे निज़ाम गेट कहा जाता है, 1911 में हैदराबाद के निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ाँ द्वारा बनवाया गया था। दरगाह तक जाने के लिए बुलंद दरवाजा से गुजरना पड़ता है, जिसका निर्माण सुल्तान महमूद ख़िल्जी ने करवाया था।
महत्वपूर्ण स्थल
दरगाह परिसर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की कब्र एक गुंबददार कक्ष में स्थित है, जिस पर चांदी की रेलिंग और संगमरमर की स्क्रीन लगी हुई है। यहां पर औलिया मस्जिद, दरगाह श्राइन, जामा मस्जिद और महफिलखाना भी स्थित हैं।
बड़ी और छोटी देग
दरगाह में बड़ी देग और छोटी देग हैं, जो मुगल बादशाह अकबर और जहांगीर द्वारा भेंट की गई थीं। बड़ी देग में 120 मन (4800 किलो) चावल एक साथ पकाए जाते हैं, जबकि छोटी देग में 60 मन चावल पकाए जाते हैं। इन देगों में केवल शाकाहारी भोजन ही पकाया जाता है।
उर्स उत्सव
हर साल इस्लामी चंद्र कैलेंडर के सातवें महीने में यहां छह दिनों के लिए 'उर्स' उत्सव आयोजित किया जाता है। इस दौरान दरग