चार पंचायत सचिवों पर गबन का आरोप, जिला पंचायत की सख्त कार्रवाई, एक महीने के लिए जेल
उमरिया। जिले में प्रशासनिक सख्ती का एक अभूतपूर्व मामला सामने आया है, जहां जिला पंचायत के सीईओ अभय सिंह ओहरिया ने चार पंचायत सचिवों को गबन के गंभीर आरोपों में एक महीने के लिए जेल भेज दिया है। इस कार्रवाई ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है, और यह मध्य प्रदेश का पहला मामला है जिसमें धारा 40 और 92 के तहत पंचायत सचिवों को सिविल जेल भेजा गया है।
आरोप: सरकारी पैसे का दुरुपयोग
इन चारों पंचायत सचिवों पर ग्राम पंचायत के निर्माण कार्यों की राशि का दुरुपयोग करने का आरोप है। जानकारी के अनुसार, इन सचिवों ने सरकारी धन को निजी कार्यों में खर्च किया और बिना काम कराए ही सरकारी खाते से पैसे निकाल लिए। जांच में यह सामने आया कि सरकारी योजनाओं के तहत स्वीकृत राशि का उपयोग ठीक से नहीं किया गया, जिसके कारण यह कार्रवाई की गई।
जेल जाने वाले सचिव
जिन पंचायत सचिवों को एक महीने के लिए जेल भेजा गया है, वे निम्नलिखित हैं:
मान सिंह (बड़खेरा 16)
कल्याण सिंह (गोपालपुर)
संतोष राय (पठारी कला)
सुभाष राय (पठारी कला)
इन सभी सचिवों के खिलाफ जिला पंचायत न्यायालय में सुनवाई के बाद वारंट जारी किया गया, जिसके आधार पर उन्हें जेल भेजा गया। अब उन्हें एक महीने तक सिविल जेल में रहना होगा और इसके बाद उनसे गबन की गई राशि वापस करने की भी मांग की गई है।
जिला पंचायत का सख्त संदेश
जिला पंचायत सीईओ अभय सिंह ओहरिया ने इस कार्रवाई को पंचायत राज अधिनियम के तहत एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि पंचायत में वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए यह एक आवश्यक कदम था। ओहरिया ने यह भी कहा कि इस सख्त कार्रवाई का उद्देश्य अन्य पंचायत सचिवों को भी चेतावनी देना है ताकि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों से बचा जा सके।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इन पंचायत सचिवों को पहले भी नोटिस जारी किया गया था, लेकिन जब उन्होंने कार्य योजना के अनुसार काम नहीं किया और सरकारी धन का दुरुपयोग किया, तो मजबूरन उन्हें जेल भेजने की कार्रवाई करनी पड़ी।
जनता में मिला-जुला असर
इस पूरे मामले ने जिले भर में हड़कंप मचा दिया है, जहां एक ओर प्रशासन की सख्त कार्रवाई की सराहना हो रही है, वहीं दूसरी ओर पंचायत सचिवों के परिवार और समर्थकों में निराशा का माहौल है। लेकिन, यह कार्रवाई निश्चित रूप से एक उदाहरण बनेगी कि प्रशासन भ्रष्टाचार और वित्तीय अनुशासनहीनता के मामलों में किसी भी तरह की ढील नहीं बरतेगा।
इस घटना ने जिले में पंचायत प्रशासन पर निगरानी की आवश्यकता को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटना के बाद पंचायत सचिवों और अन्य अधिकारियों पर इसका क्या असर होता है, और क्या इस कार्रवाई से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में सफलता मिलती है।