मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने हाईस्कूल शिक्षक भर्ती पर लगाई रोक
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (जबलपुर) ने प्रदेश में हाईस्कूल शिक्षक भर्ती के शेष पदों पर रोक लगा दी है। अदालत ने आदेश दिया है कि जब तक राज्य सरकार शिक्षक भर्ती के नियमों में सुधार नहीं करती, तब तक शेष पदों पर नियुक्तियां नहीं होंगी। यह फैसला चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुनाया।
सरकार को 3 हफ्तों की मोहलत
कोर्ट ने राज्य सरकार को भर्ती नियमों में सुधार के लिए 3 सप्ताह का समय दिया है। इसके बाद ही मामले की अगली सुनवाई होगी। गौरतलब है कि हाईस्कूल शिक्षकों के कुल 18 हजार पदों में से 6 हजार पदों पर भर्तियां अभी लंबित हैं।
अंकों को आधार बनाने की सलाह
अदालत ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को सुझाव दिया कि भर्ती प्रक्रिया में सेकेंड डिवीजन के बजाय उम्मीदवारों के अंकों को आधार बनाया जाए।
भर्ती प्रक्रिया पर क्यों उठे सवाल?
हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में उम्मीदवारों की सेकेंड डिवीजन पात्रता को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। शिक्षा विभाग ने 448 ऐसे उम्मीदवारों को सेकेंड डिवीजन मानकर नियुक्तियां दीं, जिनके ग्रेजुएशन में 45% से 50% अंक थे। वहीं, ऐसे कई उम्मीदवारों को थर्ड डिवीजन मानकर अयोग्य ठहराया गया, जिनके अंक भी 45% से 50% के बीच थे।
एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन) के नियमों के अनुसार, पात्रता के लिए ग्रेजुएशन में सेकेंड डिवीजन अनिवार्य है। लेकिन विभिन्न विश्वविद्यालयों के नियम अलग-अलग हैं। कुछ विश्वविद्यालय 45% से 50% अंकों को सेकेंड डिवीजन मानते हैं, तो कुछ इसे थर्ड डिवीजन में गिनते हैं। शिक्षा विभाग ने अंकों के बजाय मार्कशीट में दर्ज डिवीजन को आधार बनाकर भर्तियां कीं, जिससे प्रक्रिया विवादों में आ गई।
सरकार का पक्ष
पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया था कि अब तक 12 हजार भर्तियां पूरी हो चुकी हैं। इसके अलावा, एक हाई-पावर कमेटी का गठन किया गया है, जो भर्ती प्रक्रिया के नियमों की समीक्षा कर रही है। सरकार ने इस प्रक्रिया के लिए 2-3 सप्ताह का समय मांगा।
अब अदालत के निर्देशों के अनुसार, भर्ती प्रक्रिया के बचे हुए पदों पर नियुक्तियां तभी संभव होंगी जब सरकार नियमों में आवश्यक सुधार कर लेगी।