इस कपल ने बिना तामझाम संविधान को साक्षी मानकर की शादी,फिर जो हुआ !!
शादी का नाम सुनते ही भव्य समारोह, बारात, और पारंपरिक रस्मों की तस्वीरें उभरने लगती हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के एक कपल ने साधारण लेकिन प्रेरणादायक तरीके से शादी कर समाज को नई दिशा दिखाई।
संविधान को बनाया साक्षी
यमन लहरे और प्रतिमा माहेश्वरी ने अपनी शादी में किसी प्रकार का तामझाम नहीं किया। उन्होंने ना बारात बुलवाई, ना ही पारंपरिक सात फेरे लिए। इस जोड़े ने कोर्ट में संविधान की शपथ लेकर एक-दूसरे का साथ निभाने की कसमें खाईं। उनके लिए भारत का संविधान ही भगवान है, और इसी भावना को सम्मान देते हुए उन्होंने यह अनोखा फैसला लिया।
इलाके में बनी मिसाल
इस सादगीपूर्ण शादी ने इलाके में मिसाल कायम कर दी। कापू गांव के कई युवक-युवतियां अब इस कपल के कदमों पर चलने को प्रेरित हो रहे हैं। ऐसी शादियों में बिना फिजूलखर्ची किए, संविधान को साक्षी मानकर जीवन की शुरुआत की जा रही है। यह पहल समाज में व्यर्थ की शादियों पर होने वाले खर्च को रोकने और शादी को सरल बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है।
साधारण शादी, बड़े विचार
कपल ने बताया कि इस फैसले के पीछे उनका उद्देश्य दिखावे और अनावश्यक खर्चों से बचना था। साथ ही, उन्होंने कहा कि उनकी शादी संविधान के प्रति आस्था और समानता की भावना को दर्शाने का एक प्रयास है। उनकी शादी की पूरे इलाके में तारीफ हो रही है।
समाज में नया संदेश
यमन और प्रतिमा की शादी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो बिना अनावश्यक खर्चों और दिखावे के, शादी को सादगी और विचारशीलता के साथ संपन्न करना चाहते हैं। यह जोड़ी समाज में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बताता है कि शादी का असली अर्थ दिलों का जुड़ना है, न कि फिजूलखर्ची।