पहुलगाम आतंकी हमला: "मुसलमान हो या हिंदू?" पूछने के बाद सिर में गोली मार दी – एशान्या ने बयां की आंखों देखी दर्दनाक दास्तां
कानपुर। "मुसलमान हो या हिंदू?"—यह सवाल एक आतंकवादी ने दो बार पूछा और जब जवाब मिला "हम मुसलमान नहीं हैं", तो बिना देर किए शुभम के सिर में गोली मार दी। खून से लथपथ शुभम जमीन पर गिर पड़े, उनकी पत्नी एशान्या चीख उठीं। अगले ही पल चारों तरफ गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजने लगी। चीख-पुकार और अफरा-तफरी के बीच पहलगाम दहशत में डूब गया।
यह मंजर मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुआ, जब कानपुर निवासी शुभम द्विवेदी परिवार समेत घूमने गए थे। आतंकी हमले में शुभम की जान चली गई और उनकी पत्नी एशान्या ने यह पूरा मंजर अपनी आंखों से देखा।
“सिर्फ पूछा, मुसलमान हो या नहीं... फिर मार दिया गोली”
दैनिक जागरण से फोन पर बात करते हुए एशान्या ने रोते हुए बताया कि यह उनकी शादी के बाद पहली पारिवारिक ट्रिप थी। पहलगाम के ऊंचे हिस्से से घुड़सवारी करते हुए जब नीचे गेट तक पहुंचे, तो करीब 50 मीटर दूरी पर वह, शुभम और बहन शांभवी बैठे थे। मम्मी-पापा पास ही थे।
एक शख्स आया और पूछा—“मुसलमान हो या हिंदू?” पहले तो लगा मजाक कर रहा है। फिर उसने दोबारा पूछा—“अगर मुसलमान हो तो कलमा पढ़ो।” जवाब में एशान्या और शुभम ने कहा—“नहीं भइया, हम मुसलमान नहीं हैं।” अगले ही पल उसने शुभम को गोली मार दी।
"मैं कुछ नहीं कर सकी..."
"मेरे सामने मेरे पति की जान चली गई और मैं कुछ नहीं कर सकी। शायद मैं भी मारी जाती, लेकिन बहन और मम्मी-पापा मुझे खींचते हुए वहां से बाहर ले गए,"—एशान्या की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे।
मुख्यमंत्री ने जताया शोक, परिजनों से की बात
घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक के पिता संजय द्विवेदी से फोन पर बात की और शोक संवेदना जताई। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार पूरी तरह से परिवार के साथ है। जिलाधिकारी और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने भी परिजनों से बात की और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल से घटना की जानकारी ली।
राजनीतिक रूप से प्रभावशाली है परिवार
मृतक शुभम द्विवेदी के परिवार की महाराजपुर क्षेत्र में मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि है। उनके चाचा पंडित मनोज द्विवेदी ज्योतिषाचार्य हैं, जबकि दादा चंदन प्रसाद द्विवेदी 18 वर्षों तक प्रधान रहे। शुभम के पिता संजय द्विवेदी क्षेत्र के प्रमुख सीमेंट व्यवसायी हैं। परिवार की भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से करीबी है।
यह आतंकी हमला केवल एक जान लेने का मामला नहीं, बल्कि अमन-पसंद लोगों के खिलाफ नफरत की आग का सबूत है। सवाल यह नहीं है कि कौन धर्म से क्या है, सवाल यह है कि कितने मासूम इस घृणा की भेंट चढ़ते रहेंगे?